धैर्य ही जीवन का सार है


✍🏻 अध्यापक ने कक्षा के सभी बच्चों को एक स्वादिष्ट टॉफ़ी दी और फिर एक अजीब बात कही।


सुनो, बच्चों! आप सभी को दस मिनट तक अपनी टॉफ़ी नहीं खानी है और ये कहकर वो कक्षा से बाहर चले गए।


कुछ पल के लिए कक्षा में सन्नाटा छाया था, हर बच्चा उसके सामने पड़ी टॉफ़ी को देख रहा था और हर गुज़रते पल के साथ स्वयं को रोकना कठिन हो रहा था। दस मिनट पूरे हुए और अध्यापक कक्षा में आ गए। समीक्षा की। पूरे वर्ग में सात बच्चे थे, जिनकी टॉफ़ीयां ज्यों की त्यों थी,जबकि बाकी के सभी बच्चे टॉफ़ी खाकर उसके रंग और स्वाद पर टिप्पणी कर रहे थे। अध्यापक ने चुपके से इन सात बच्चों के नाम को अपनी डायरी में लिख लिया और लिख लेने के बाद पढ़ाना प्रारंभ किया।


इस शिक्षक का नाम प्रोफेसर वाल्टर मशाल था।


कुछ वर्षों के बाद प्रोफेसर वाल्टर ने अपनी वही डायरी खोली और सात बच्चों के नाम निकाल कर उनके बारे में शोध शुरू कर दिया। एक लंबे संघर्ष के बाद, उन्हें पता चला कि सातों बच्चों ने अपने जीवन में कई सफलताओं को प्राप्त किया है और अपने अपने क्षेत्र के लोगों की संख्या में सबसे सफल है। प्रोफेसर वाल्टर ने अपने बाकी वर्ग के छात्रों की भी समीक्षा की और यह पता चला कि उनमें से अधिकांश एक आम जीवन जी रहे थे, जबकी कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें कठिन आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा था।


इस सभी प्रयास और शोध का परिणाम प्रोफेसर वाल्टर ने एक वाक्य में निकाला और वह यह था....


"जो व्यक्ति दस मिनट तक धैर्य नहीं रख सकता, वह जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ सकता”


इस शोध को विश्व भर में प्रसिद्धि मिली और इसका नाम "मार्श मेलो थ्योरी" रखा गया था क्योंकि प्रोफेसर वाल्टर ने बच्चों को जो टॉफ़ी दी थी उसका नाम "मार्श मेलो" था। यह फोम की तरह नरम थी।


 इस थ्योरी के अनुसार दुनिया के सबसे सफल व्यक्तियों में कई गुणों के साथ एक गुण 'धैर्य' पाया जाता है, क्योंकि यह गुण व्यक्ति के सहन करने की क्षमता को बढ़ाती है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में निराश नहीं होता और वह एक असाधारण व्यक्तित्व बन जाता है।
 धैर्य ही जीवन का सार है।🙏🏻🌷🙏