आत्मनिरीक्षण

जैसे किसी बगीचे या खेत में उत्तपन्न हुए झाड़ -झखाड़ बिना किसी प्रयत्नन के स्वयं ही पैदा हो जाते हैं और ये बगीचे या खेत की सुन्दरता को समाप्त करने के साथ साथ भूमि की उर्वरा शक्ति को भी नष्ट करते हैं।ठीक इसी प्रकार हमारे जीवन में भी बुराइयों रूपी झाड़-झखाड़ के उगने की बहुत सम्भावना रहती है।जो आसानी से हमारे गुणों और शुभ कर्मों की कीर्ति को नष्ट करती है।इससे हमारे जीवन का विकास रुक जाता है।
अब प्रश्न है कि इन बुराई रूपी झाड़-झखाड़ को कैसे नष्ट किया जाये।
जैसे एक कुशल माली और किसान रोज़ अपने बगीचे और खेत की निराई गुड़ाई कर इन व्यर्थ के झाड़-झखाड़ को उखाड़ फैंकता है, वैसे ही हमें भी आत्मनिरीक्षण कर अपनी बुराईयों को दूर करने और गुणों को धारण करने के लिये दृढ़-संकल्प होना चाहिये।
ईमानदारी से अपने गुण-दोषों,अच्छाई-बुराई,शुभ-अशुभ विचारों को देखना और जानना ही आत्मनिरीक्षण है।
दूसरा उपाय है,अच्छी पुस्तकों का अध्ययन और अच्छे लोगों का संग यानि सत्संगति।अच्छे लोगों का संग करने से जैसे- जैसे गुणों में वृद्धि होगी,वैसे- वैसे बुराई रूपी झाड़-झखाड़ अपने आप नष्ट हो जायेंगे।
आत्मनिरीक्षण वह खुरपी है जिससे आप बुराइयों की झाड़ों को उखाड़ कर दूर फ़ेंक सकते हो और अच्छाइयों को ग्रहण करते हुए अपने उद्देश्य की ओर आसानी से बढ़ सकते हो।