परीक्षा में स्ट्रेस जाएँ भूल, रहें कूल । अपनाएं ये महत्वपूर्ण टिप्पस् ...
किसी भी परीक्षा में सफलता/असफलता अच्छी तैयारी के साथ ही साथ परीक्षा हाल में आपकी मनःस्थिति पर निर्भर करती है। परीक्षा के दौरान तनाव और दबाव का होना स्वाभाविक है, परन्तु जब यह तनाव आपके परिणाम को दुष्प्रभावित करने लगे तो सर्तक हो जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में मानसिक स्तर पर होने वाले दुवंद से निपटना चुनौतीपूर्ण होता है।
परीक्षा से एक सप्ताह पूर्व नए विषयों को पढ़ना बंद कर, केवल पहले से तैयार और पढ़े हुए विषयों का रिवीजन करना चाहिए...
आत्म संयम :
कई बार अच्छी तैयारी के बावजूद बहुत से प्रतियोगी असफल हो जाते हैं। जबकि दूसरी ओर नये और कम तैयारी वाले भी परीक्षा हाल में बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं। अनावश्यक तनाव व दबाव की स्थिति में आसान और हल करने योग्य प्रश्नों के गलत होने की संभावना रहती है। कभी भी दूसरों की तैयारी के आधार पर, स्वयं की तैयारी का मूल्यांकन करके हताश और निराश नहीं होना चाहिए।
एक स्तर की तैयारी के बाद सफलता और असफलता परीक्षा के दौरान आपके मनोवैज्ञानिक व्यवहार और संयम पर निर्भर करती है। बहुत अच्छी तैयारी होने पर अति उत्साह में अथवा आधे-अधूरे प्रश्न को पढ़कर उत्तर देने के कारण आते हुए प्रश्नों के उत्तर भी गलत हो जाते हैं। जो कि असफलता का कारक बनती है, जबकि दूसरी ओर सकारात्मक दृष्टिकोण से उत्तर देने पर कंफ्यूजन वाले प्रश्नों के उत्तर भी सही हो जाते हैं। इतना ही नहीं तुक्केबाजी से लगाया हुआ उत्तर भी सही हो जाता है। इसका के यह कदापि मतलब नहीं है कि, आप प्रश्नों को तुक्केबाजी से हल करें। तुक्केबाजी से सही उत्तर देने का अपना सिद्धांत हैं। तुक्केबाजी सदैव प्रायिकता के सिद्धांत व संभावनाओं के मद्देनजर करनी चाहिए।
कन्फ्यूजन से बचें :
जैसे-जैसे परीक्षा नजदीक आती है, मानसिक तनावदबाव और कन्फ्यूजन तेजी से बढ़ता है। कम समय में अधिक से अधिक टॉपिक व विषयों को टच करने की लालच में, पहले से तैयार टॉपिक का रिविजन छूट जाता है। जिससे कन्फ्यूजन की स्थिति को बढ़ जाती है। इसलिए परीक्षा से एक सप्ताह पूर्व नए विषयों को पढ़ना बिल्कुल बंद कर देना चाहिए। केवल पहले से तैयार और पढ़े हुए विषयों के रिवीजन करने पर जोर देना चाहिए। अन्यथा कन्फ्यूजन के कारण बहुत सारे प्रश्न गलत होने की संभावना बढ़ जाती है।
रखें सकारात्मक दृष्टिकोण :
परीक्षा से चौबीस घंटे पूर्व नए तथ्यों को बिल्कुल भी न देखें। प्रवेश पत्र, पेन-पेंसिल, आईकार्ड इत्यादि परीक्षा से एक दिन पूर्व ही संभाल कर रख लेना चाहिए। जिससे परीक्षा के दिन कोई हड़बड़ी या अनावश्यक तनाव उत्पन्न न हो। एक दिन पूर्व हल्का भोजन करें और भरपूर नींद लें। सकारात्मक दृष्टिकोण, फ्रेश मूड और शांत मनःस्थिति से परीक्षा हॉल में प्रवेश करें। उत्तर पत्रक मिलने के पश्चात रोल नंबर और अन्य जानकारियां अत्यंत सावधानीपूर्वक भरना चाहिए। छोटी से छोटी भूल आपको सफलता से दूर ले जा सकती है। प्रश्न पत्र मिलने के पश्चात सरसरी निगाह से पूरे प्रश्न पत्र को एक बार देख लेना चाहिए। यदि प्रश्न पत्र तैयारी के मुताबिक आया है, तो अति उत्साह की बजाय संयम और धैर्यपूर्वक प्रश्नों को पढ़कर सावधानी से विकल्पों का चयन करें। यदि प्रश्नपत्र तैयारी के सापेक्ष कठिन है तो भी बिना परेशान हुए, पहले आते हुए प्रश्नों को हल करें। फिर जिन प्रश्नों में कंफ्यूजन हों उन्हें प्रायिकता के सिद्धांत पर हल करें। यदि आप सफलता के कट-ऑफ के औसत के करीब हैं तो तुक्केबाजी बिल्कुल भी न करें लेकिन यदि औसत से दूर हैं तो तुक्केबाजी का सहारा अवश्य लें। परीक्षा हाल में एकाग्रता बनाये रखना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। समय प्रबंधन परीक्षा कक्ष में टाइम मैनेजमेंट बहुत आवश्यक है। आपकी रीडिंग स्पीड और विषय वस्तु को समझने की क्षमता तीव्र होनी चाहिए। जिससे कम समय में अधिक से अधिक जानकारी हासिल हो सके। प्रश्नों को जल्दी-जल्दी पढ़कर समझना और सही उत्तर का चुनाव करना और उत्तर पत्र पर गोला बनाने की स्पीड बहुत तेज होनी चाहिए। इसके लिए परीक्षा से पूर्व, निश्चित समयावधि में मॉडल प्रश्न पत्र या पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों को नियमित रुप से हल करने की प्रैक्टिस करना चाहिए।
सही समय पर लें सही निर्णय :
परीक्षा हाल में घबराहट या तनाव बिल्कुल न लें, मन को शान्त रखें। अन्यथा फायदा की बजाय नुकसान ही होगा। पूर्व की परीक्षाओं के दौरान की गयी गलतियों और समस्याओं पर गौर करें, जिससे आगामी परीक्षाओं में उसकी पुनावृत्ति न हो सके। प्रश्नों को एकाग्रचित्त, धैर्यपूर्वक और संयम से पढकर हल करना चाहिए।