‘ई-लर्निंग’ के क्षेत्र में बढ़ता रुझान और उसकी विशेषताएँ


केपीएमजी और गूगल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पिछले तीन सालों में ऑनलाइन एजूकेशन की डिमांड 8 गुना ज्यादा बढ़ गई है। 


कम्पटीशन के इस दौर में, छात्रों को मेरिट और प्रवेश आधारित दोनों विकल्पों के लिए तैयारी की आवश्यकता होती है। इस दौरान, छात्र जिस चीज से सबसे ज्यादा परेशान होते हैं, वह है टाइम मैनेजमेंट।


सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि, इस स्थिति में समय को कैसे मैनेज करें और तनाव को कैसे कम किया जाए। इस सवाल का एक ही जवाब है और वो है 'ई-लर्निंग'।


उन्हें इंटरनेट के जरिए पढ़ाई करना ज्यादा आसान लगता है। 


इंटरनेट के जरिए न सिर्फ छात्रों को पढ़ने में आसानी होती है बल्कि उनका समय भी बचता है, क्योंकि हर सवाल का जवाब आसानी से मिल जाता है। लैपटॉप और स्मार्ट फोन्स का इस्तेमाल बिल्कुल आसान है, जिसके कारण इंटरनेट की सुविधा और आसान और आकर्षित बन जाती है।


आज के समय में ट्रैवल करना बहुत मुश्किल होता है और इसमें समय की बर्बादी भी होती है, जबकी इंटरनेट ने इस समस्या का भी हल निकाल दिया है। अब छात्र बिना कहीं जाए, घर पर ही पढ़ाई कर सकते हैं। बचे हुए समय का उपयोग अन्य जरूरी चीजों के लिए किया जा सकता है। पिछले कुछ सालों में, भारत के लोगों ने ऑनलाइन एजूकेशन को खुले दिल से अपनाया है। अपने स्किल्स के विकास के लिए छात्र ई-लर्निंग का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। इस ट्रेंड से यह साफ दिखाई देता है कि आने वाले कुछ सालों में इंटरनेट यूजर्स की संख्या में भारी वृद्धि होगी।  


 ई-लर्निंग की मदद से आप घर बैठे तैयारी कर सकते हैं। इसकी मदद से आप एक चीज को कभी भी पढ़ सकते हैं और उसका रिवीजन भी कर सकते हैं। यहां तक कि आप ऑनलाइन मॉक टेस्ट के जरिए अपनी तैयारी का मुल्यांकन भी कर सकते हैं।